| 1. | अक्षमा दूसरे के गुणों को न सह सकना अर्थात् असहिष्णुता,
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| 2. | स्वीकार कर लेना हालात की मज़बूरी है, पर सह सकना इतना सहज
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| 3. | जिसके गर्व और अभिमान को न सह सकना स्त्रियों में स्वाभाविक होता है।
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| 4. | ईर्ष्या-दूसरों के उत्कर्ष (बढ़ती) को न सह सकना ईर्ष्या है ।
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| 5. | निराधार निंदा को सह सकना, बिना किसी क्षोभ प्रतिक्रिया के उसे पचा सकना शिव की तरह गरल पीना ही है।
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